विश्व अहिंसा दिवस!!अशोकबिन्दु बिंदु के जन्मदिन के साथ?!

गीता का विराट रूप?!
श्री अर्द्धनारीश्वर अवधारणा?!

अर्जुन उन पहचानो में खोया था जो कर्ण से संबंधित थी। वन्य समाज, जंगल आदि अर्जुन और पांडवों के भी आश्रयदाता रहे थे और अब अभी तक के साम्राज्य,राजवंश और स्वयं इन्द्र .....?!


 चारों और जहां तक निगाह जाती है सब एक अस्तित्व की ही अभिव्यक्ति है,कलाकारी है। विभिन्नता में उसी एकता,अनेकता में उसका एकत्त्व कौन देख पाए?गीता के विराट रूप से आगे भी काफी कुछ है, अनंत है। श्रीअर्धनारीश्वर अवधारणा से आगे भी काफी कुछ है,अनंत है ।दो धाराएं ,दो संभावनाएं हर वक्त हैं। द्वैतवाद अपना अद्वैत भी अपने में छुपाए हुए हैं। संतो, महापुरुषों ,ग्रंथों की वाणियों का हेतु आत्मप्रबंधन और समाज प्रबंधन ही है । आत्म प्रबंधन का मतलब सिर्फ अपने शरीर और ऐंद्रिक आवश्यकताओं के लिए प्रबंधन नहीं है । यह शरीर और इंद्रियां तो माध्यम है। हमारे लक्ष्य के सामने हमारे आत्मिक गुण हैं, आत्मीय प्रकाश या आत्मीयता है।जो सर्वव्यापकता से प्रभावित है।हमारे सामने हमारे कर्तव्य हैं, ऐसे में हम कैसे कह सकते हैं कि 'अपना काम बनता, भाड़ में जाये जनता?'


प्रेम क्या है?प्रेम राज क्या है?वह है सर्वव्यापकता।

किस किस से प्यार किस किस को छोड़ना?! स्थूलता व भौतिकताओं की विभिन्नता से निकल कर सूक्ष्म जगत में वह प्रकाश चमक रहा है, जो अनन्त यात्रा से आता दिखता है।चेतना व समझ के अनन्त बिंदुओं के माध्यम से हम अनन्त पर हैं।जहां कोई मंजिल नहीं, वरन निरन्तरता है।हम, जीव जंतु, रोम रोम, कण कण, सारा ब्रह्मांड उसी अनन्त यात्रा में हैं और एक प्रकार की गतिशीलता, गीलेपन, द्रव्यता से बंधा है।


हिंसा कैसी हिंसा?जब बसुधैव कुटबकम, विश्व बंधुत्व, सागर में कुम्भ कुम्भ में सागर.... तो कैसी हिंसा? कैसा द्वैत?कैसा भेद?कैसा द्वेष..?!
#अशोकबिन्दु #एस डी पटेल #विश्वअहिँसाडिव

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4 Comments

Niraj Pandey

11-Oct-2021 07:18 PM

बहुत खूब

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Seema Priyadarshini sahay

07-Oct-2021 09:50 PM

बहुत खूबसूरत

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Shalini Sharma

04-Oct-2021 02:36 PM

Beautiful

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